जो किसान सोचते हैं ‘बस ऐसे ही चलता है’ – अब बदलें सोच और अपनाएं संतुलित पशु आहार (फीड)

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परिचय: सोच में बदलाव ही खेती में क्रांति लाता है

बिहार के कई किसान आज भी यह सोचते हैं — “दूध कम आ रहा है? कोई बात नहीं, जैसे चल रहा है, चलने दो।” “पशु थोड़ा कमजोर है? सभी किसानों की गायें कमजोर ही रहती हैं।”

लेकिन यही सोच हमें आगे बढ़ने से रोकती है। अगर किसान चाहें, तो पशुपालन के वैज्ञानिक तरीकों और संतुलित पशु आहार (फीड) से वे अपनी आमदनी दोगुनी–तिगुनी कर सकते हैं। यह ब्लॉग उन्हीं किसानों के लिए है जो अब भी बदलाव से घबराते हैं या जिनके मन में यह धारणा बैठ गई है कि “गांव में ऐसे ही होता है”।


1. “हमेशा ऐसा ही होता है” – यह सोच क्यों गलत है?

बिहार के गांवों में अब भी कई किसान मानते हैं कि दूध की कमी, पशु की कमजोरी, या गर्मियों में दूध गिरना एक सामान्य बात है। लेकिन आज का विज्ञान कहता है — “समस्या है, तो समाधान भी है।”

ऐसे समय में जब किसान पूरी मेहनत कर रहे हैं – पशुओं की देखभाल, समय पर चारा, दवा, साफ-सफाई इत्यादि – फिर भी जब दूध उत्पादन गिरता है, तो इसका सीधा संबंध उनके पोषण और आहार से होता है। इसलिए ज़रूरी है कि परंपरागत सोच को बदला जाए और आधुनिक पशुपालन को अपनाया जाए।


2. क्या सिर्फ परंपरागत चारा ही काफी है?

कई किसान अब भी गेहूं का चोकर, भूसा, घास और थोड़ा बहुत अनाज ही देते हैं। लेकिन क्या इससे पशु की संपूर्ण पोषण आवश्यकता पूरी होती है?

नहीं।

पारंपरिक चारे में पोषण की बहुत कमी होती है। उसमें ऊर्जा (Energy), प्रोटीन (Protein), मिनरल्स (Minerals) और विटामिन्स (Vitamins) का संतुलन नहीं होता। ऐसे में पशु का शरीर थकता है, पाचन खराब होता है और दूध उत्पादन घटता है।

आज ज़रूरत है – वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया संतुलित पशु आहार (फीड), जैसे कि बंधन पशु आहार, जो न सिर्फ दूध बढ़ाता है, बल्कि पशु की संपूर्ण सेहत को सुधारता है।

✅ उदाहरण:

पटना के किसान श्री संतोष कुमार पहले सिर्फ गेहूं, चोकर और भूसा दे रहे थे। उनकी गाय 5 लीटर दूध देती थी। जब उन्होंने बंधन पशु आहार (फीड) देना शुरू किया, तो 20 दिनों में उत्पादन 9 लीटर हो गया। साथ ही पशु की चमक, भूख और गतिविधि में भी सुधार आया।


3. “हमारे पास समय नहीं है नए प्रयोग का” – यह भ्रम है

यह सोचना कि “मेरे पास समय नहीं है नया फीड आज़माने का”, असल में सबसे बड़ी भूल है।

वास्तव में जब आप संतुलित पशु आहार (फीड) का प्रयोग करते हैं, तो:

  • डॉक्टर पर खर्च घटता है
  • बीमारियों का खतरा कम होता है
  • पशु लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं
  • दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बढ़ती हैं
  • और संतुलित पशु आहार सस्ते होते हैं। 

सोचिए:

  • क्या रोज़-रोज़ डॉक्टर को बुलाना सस्ता है?
  • क्या कम दूध बेचकर भी आप लाभ में हैं?
  • क्या बीमारी से मरने वाले पशु की भरपाई आसान है?

उत्तर है – नहीं। इसलिए पशु आहार (फीड) में बदलाव सबसे जरूरी और प्रभावी तरीका है।


4. बंधन पशु आहार (फीड) से बदलाव लाने वाले किसान

✅ पूर्वी चम्पारण के राजेश यादव:

“मैं भी सोचता था कि सब ऐसे ही चलता है। लेकिन जब एक पड़ोसी किसान ने बंधन फीड अपनाया और उसका दूध 2 गुना बढ़ा, तो मैंने भी प्रयोग किया। अब मेरी आमदनी में हर महीने ₹8,000 का इजाफा हो गया।”

✅ नवादा की रेखा देवी:

“हमारे यहां महिलाएं ज़्यादातर पशुपालन देखती हैं। पहले हम सिर्फ सूखा भूसा और चोकर देते थे। जब से बंधन पशु आहार देना शुरू किया, हमारे भैंस का दूध 4 लीटर से बढ़कर 9 लीटर हो गया।”

ऐसे दर्जनों किसान आज संतुलित पशु आहार (फीड) के कारण लाभ में हैं।


5. डॉ. पवन कुमार की सलाह: सोच बदलो, तरीका बदलो

“पशुपालन अब सिर्फ परंपरा नहीं, एक व्यवसाय है। यदि किसान वैज्ञानिक सोच के साथ सही पशु आहार (फीड) अपनाएं, तो आमदनी में क्रांतिकारी बदलाव संभव है। ‘बस ऐसे ही चलता है’ वाली सोच छोड़ें और स्मार्ट किसान बनें।”

उनका सुझाव है कि हर किसान को साल में कम से कम 2 बार पशु का हेल्थ चेकअप कराना चाहिए, एचएस, बीकयू, एफ एम डी, का वैक्सीन करना चाहिए और केवल प्रमाणित फीड ब्रांड जैसे बंधन का ही उपयोग करना चाहिए।


6. बदलाव की राह – आज से शुरू करें

यदि आप भी सोचते हैं कि स्थिति नहीं बदल सकती, तो आज से बंधन पशु आहार (फीड) अपनाकर देखें।

सिर्फ 15–20 दिनों में:

  • दूध की मात्रा बढ़ेगी
  • पशु की सेहत सुधरेगी
  • प्रजनन शक्ति बेहतर होगी
  • रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ेगी
  • आपकी कमाई और आत्मविश्वास दोनों में बढ़ोतरी होगी

यही असली बदलाव है जिसकी शुरुआत सिर्फ सोच बदलने से होती है।


निष्कर्ष: अब समय है जागने का

“जैसे चल रहा है, चलने दो” – यही सोच आज किसान को पीछे खींच रही है। बिहार के हर किसान को अब गुणवत्ता, पोषण और आधुनिक पशु आहार (फीड) की ताकत को समझना होगा।

बंधन पशु आहार (फीड) सिर्फ एक उत्पाद नहीं, बल्कि आपकी मेहनत का सही प्रतिफल है। अब समय है सोच बदलने का, रास्ता बदलने का और अपनी आमदनी को एक नई ऊँचाई पर ले जाने का।

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